राज्य में आम लोगों की परेशानी को समझते हुए बिहार सरकार जमीन की सर्वे से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की है जिससे कि आम जनता को जमीन सर्वे के लिए किसी को भाग-दौड़ करने की आवश्यकता नहीं है खुद से अपने वंशावली बनानी है जमीन के दस्तावेज के साथ खुद घोषणा करनी है सर्व अधिकारी आपके गांव में आकर दस्तावेज की सत्यापन करेंगे जमीन के दस्तावेज और दखल कब्जा के आधार पर नया खतियान बनाएंगे जिला बंदोबस्त अधिकारी राजीव रंजन प्रभाकर ने कहा है कि किसी को भाग-दर करने की कोई आवश्यकता नहीं है अपने जमीन के मालिकाना हक से संबंधित जो कागजात है, उसको जमा कर पपत्र-2 में स्व-घोषणा करें। पपत्र-3 में वंशावली का स्व-घोषणा करनी है। सर्वे अधिकारी जांच करेंगे। जांच के दौरान सही पाए जाने वाले लोगों का नया खतियान बनाएंगे।
कौन-सी जमीन सरकारी है?
यदि आप जानना चाहते हैं कि कौन सा जमीन सरकारी है और कौन सा जमीन आम आदमी का होगा तो गैरमजरूआ आम और गैरमजरूआ खास बिहार सरकार की जमीन है। वहीं कैसर ए हिंद जमीन केंद्र सरकार की है। इस जमीन का खतियान सरकारी है।
वंशावली क्यों जरूरी है?
सबसे पहले आप लोगों को यह बात जान लेना जरूरी होगा की वंशावली को पारिवारिक सूची कहते हैं। इसकी जरूरत नाम ट्रांसफर के लिए है। इसको खुद बनाकर देनी है। सर्वे अधिकारी गांव में जाकर जांच करेंगे।
कागजात नहीं रहने पर क्या होगा?
यदि आपके पास जमीन का कागज आजाद नहीं है तो जमीन का दावा करने वाले व्यक्ति के पास जमीन का कागजात नहीं है। ऐसी स्थिति में जमीन के चौहद्दीकार के पास दस्तावेज होगा। सर्वे अधिकारी के द्वारा खोजा जाएगा। अधिकारी दावे का सत्यापन करेंगे। दावा सही है तो खतियान बनेगा।
मौखिक बंटवारा मान्य होगा या नहीं?
पारिवारिक सहमति से मौखिक बंटवारे को लिखित रूप में मिलने पर पूरी तरह से मान्य होगा। किसी तरह की आपत्ति आने पर सुनवाई कर निष्पादन किया जाएगा।
एक्सपर्ट की राय क्या है?
सर्वे का मतलब जमीन के मालिकाना हक और दखल की जानकारी करनी है। पूर्वजों के नाम से चली आ रही जमीन का खतियान वर्तमान व्यक्ति के नाम से होने पर समस्याएं कम होगी। जमीन का विवाद घटेगा। एसके चौधरी, सेवानिवृत संयुक्त सचिव,बिहार प्रशासनिक सेवा।
खतियान कैसे बनता है?
यदि आप भी खतियान बनाना चाहते हैं तो खतियान में खाता नंबर, रैयत का नाम और पता, खेसरा नंबर (प्लॉट नंबर), रकबा (एरिया), चौहद्दी, लगान और दखलकार का नाम रहता है। दखलकार का नाम तब होगा जब रैयत का नाम दूसरा होगा।
आवेदन कैसे देना है?
आवेदन पपत्र-2 और पपत्र-3 में देनी है। इसको स्व-घोषणा कहा जा रहा है। पपत्र-2 में जमीन का दावा और पपत्र- 3 में पारिवारिक सूची भरकर देना है।https://biharbhumi.bihar.gov.in/Biharbhumi/
सर्वे के दौरान जमीन का कागजात नहीं होने, किसी तरह के गलत कागजात होने आदि प्रकार के मामले की जांच सीओ के माध्यम से होगी। सर्वे अधिकारियों द्वारा सीओ से सत्यापन कराया जाएगा। लोगों को अपने जमीन के लिए स्व-घोषणा के बाद नापी के दौरान दखल- कब्जा बताना है। किसी तरह के गड़बड़ी होने पर 3 बार आपत्ति करने का प्रावधान है।